#वेब सीरीज की आंधी में नामी व नवोदित कलाकारों की चांदी-Silver of famous and budding artists in the storm of web series : Rashtra News
राजीव सक्सेना
तीन-चार बरस के दरमियान, सिनेमा और टेलीविजन की प्रतिस्पर्धा में ओटीटी प्लेटफार्म पर अचानक तेजी से वेब सीरीज ने अपनी जगह बनाकर लोकप्रियता का कीर्तिमान स्थापित किया है। सेंसर की पकड़ से लगभग दूर, आम जनमानस को पसंद आने वाली बिंदास सामग्री, बोलचाल की भाषा और स्थानीय स्तर के संवादों-उत्तेजक दृश्यों ने बड़े और छोटे पर्दे के बीच लैपटाप, टेबलेट और मोबाइल फोन तक पर छोटे से रिचार्ज और जरा से सब्सक्रिप्शन शुल्क में आसानी से उपलब्ध तमाम ओटीटी ऐप पर नई फिल्में और दर्जनों वेब शृंखलाओं की स्ट्रीमिंग ने क्रांति ला दी और हर कोई, फुर्सत के पलों को इनके साथ बिताने लगा। मुंबई के अलावा, दक्षिण भारत और बंगाल के फिल्म और टीवी निर्माताओं के साथ ही कई सारे नए बैनर के लिए, दर्शकों की इस सर्वथा नई दिलचस्पी को भुनाने का नया अवसर मिल गया। कोरोना की पूर्णबंदी के दौरान, जब बड़ी फिल्मों और टीवी धारावाहिकों की स्टूडियो और आउटडोर शूटिंग पर प्रतिबंध सा लगा हुआ था, कई सारी वेव सीरीज, बंगलों और अपार्टमेंट के छोटे-बड़े फ्लैट में शूट की जाने लगीं। आम तौर पर ड्रोन कैमरे के जरिये महानगर और छोटे शहरों-कस्बों, गावों के स्टाक शाट के अलावा इनडोर शूटिंग के इस्तेमाल से वेब शृंखलाओं का निर्माण सहज-सा हो गया।
सभी कलाकारों की जैसे चांदी हो गई। यही वजह रही कि अभिनेता-अभिनेत्री, सामग्री तक पर गौर किए बिना वेब शृंखलाओं के चुंबकीय आकर्षण में बंधते गए। न्यूनतम छह और अधिकतम नौ एपिसोड की सीरीज के फिल्मांकन में तकरीबन 60 से 90 दिन की समय सीमा तय की जाती है, इसलिए भी एक से ज्यादा सीरीज करना कलाकारों के लिए मुश्किल नहीं रहा।
बड़े बैनर ने ओटीटी प्लेटफार्म के भव्य बजट के मद्देनजर, सिनेमा के नामी कलाकारों को अनुबंधित करना उचित माना, क्योंकि सीरीज की लोकप्रियता ही उसके अगले सीजन या अगला भाग का निर्माण करने का बायस बन सकती थी। सैफ अली खान, मनोज वाजपेयी, इमरान हाशमी, अर्शद वारसी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे अभिनेता और हुमा कुरैशी, हिना खान, ईशा गुप्ता, लारा दत्ता, सोहा अली खान जैसी अभिनेत्रियों की मांग बढ़ने लगी, जो सिनेमा के दिग्गज सितारों की तुलना में कम बजट में उपलब्ध होते गए।
पंकज त्रिपाठी, राजकुमार राव, रोनित राय, प्रतीक बब्बर, मानव कौल, कुणाल केमू के साथ ही रजत कपूर, रघुवीर यादव, रोहित राय, चंकी पांडेय, दिव्या दत्ता, शिल्पा शिंदे, कविता कौशिक, सुनील ग्रोवर, आरिफ जकारिया जैसे कलाकार भी वेब शृंखलाओं के प्रमुख पात्रों में शामिल हो गए। इधर, रंगमंच या टीवी धारावाहिकों के कई नए कलाकारों की भी एक नई फौज इस बीच दर्शकों के बीच लोकप्रिय होती गई।
मिजार्पुर, पंचायत, व्हिसिल ब्लोअर, राकेट बायज जैसी वेब सीरीज के जरिए, प्रतीक गांधी, विक्रांत मैसी, दर्शन कुमार, त्रिधा चौधरी, दर्शना कानिटकर सरीखे कितने ही कम जाने पहचाने अभिनेता-अभिनेत्री भी ओटीटी की लोकप्रियता के हिस्से बनते गए। टेबल नंबर 21, आमिर जैसी कुछेक फिल्मों और सच का सामना जैसे टीवी शो में मुख्य भूमिका निभाने वाले राजीव खंडेलवाल अब तक सबसे ज्यादा वेब सीरीज में देखे गए हैं। रोहित राय की छोटे पर्दे की पहचान ने उन्हें भी ओटीटी पर कम काम नहीं दिलाया।
अधिकतर अपराध पर आधारित सामग्री की वेव सीरीज में नायक-नायिका के अलावा कुछ खास चरित्र और पुलिस अधिकारियों की भूमिकाएं हुआ करती हैं। रवि किशन, सचिन खेडेकर, रोनित राय, शक्ति आनंद, अमित बहल जैसे तमाम कलाकार पुलिस के रोल में एकदम फिट नजर आए। थिएटर से जुड़े विनय पाठक, रणवीर शौरी, विजय राज, विनीत कुमार, अनिल रस्तोगी, हुसैन, कुमुद मिश्रा, पीयूष मिश्रा, संजय मिश्रा, गोविंद नामदेव, मुकेश तिवारी सरीखे मंझे हुए अभिनेताओं ने वेव शृंखलाओं में चरित्र भूमिकाओं को जीवंत करने में कसर नहीं छोड़ी। मनोज वाजपेयी ने, फैमिली मेन में अपने अभिनय के माध्यम से ओटीटी के सबसे लोकप्रिय नायक का तमगा हासिल किया तों पंकज त्रिपाठी ने भी अभिनय के जौहर दिखाए।
हुमा कुरैशी ने आम दर्शक की नब्ज को समझते हुए बड़ी फिल्मों के साथ ही कुछ खास वेब सीरीज में शामिल होकर समझदारी का काम किया। ‘महारानी’ में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री का आभास देते चरित्र को निभाना हुमा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन उन्होंने इसके जरिये वाकई खुद को एक उम्दा अभिनेत्री साबित किया। वहीं, सुनील ग्रोवर ने, वेब सीरीज ‘सनफ्लावर’ में अब तक का श्रेष्ठ अभिनय किया है।
सोहा अली को फिल्मों में खास अवसर नहीं मिले। जी फाइव की सीरीज ‘कौन बनेगी शिखरवती’ में उन्होंने नसीरुद्दीन शाह और लारा दत्ता की उपस्थिति में कामिक किरदार को बेहतरीन अंजाम दिया। बाबी देओल के लिए वेब सीरीज, नया जीवन देने वाली संजीवनी बूटी साबित हुई। प्रकाश झा की शृंखला ‘आश्रम’ में उनकी भूमिका ने उन्हें औसत से कुछ आगे एक अच्छा अभिनेता सिद्ध किया। ‘लव हास्टल’ में बाबी ने एक और कदम आगे बढ़ाकर एक सरफिरे अधेड़ के किरदार को साकार किया। फिलहाल, कुछ समय के लिए ही माने तो कई तरह के आरोप से घिरी इन शृंखलाओं ने हिंदी क्षेत्र के कलाकारों की तो चांदी कर ही दी, नए निमार्ताओं को भी मंच प्रदान किया है।
!function(f,b,e,v,n,t,s)
{if(f.fbq)return;n=f.fbq=function(){n.callMethod?
n.callMethod.apply(n,arguments):n.queue.push(arguments)};
if(!f._fbq)f._fbq=n;n.push=n;n.loaded=!0;n.version=’2.0′;
n.queue=[];t=b.createElement(e);t.async=!0;
t.src=v;s=b.getElementsByTagName(e)[0];
s.parentNode.insertBefore(t,s)}(window, document,’script’,
‘https://connect.facebook.net/en_US/fbevents.js’);
fbq(‘init’, ‘444470064056909’);
fbq(‘track’, ‘PageView’);
(News Source :Except add some keywords for the headline, this story has not been edited by Rashtra News staff and is published from a www.jansatta.com feed )
Latest Sports News | Latest Business News | Latest World News | Latest Bhutan News | Latest Nepal News | Latest Education News | Latest Technology News